रेस्टरूम के एक स्टॉल में मैंने उसके मीठे अमृत को, हमारी वासना को बिना किसी हिचकिचाहट के छेड़ा और चखा.हमारी जनता की कोशिश हमें लगभग उजागर कर देती, हमारी उत्तेजना को बढ़ा देती.हम कामुक चुंबन और तीव्र जुनून में लिप्त हो जाते, हमारी गुप्त इच्छाएं सामने आ जातीं.